यादे इन दिनों की
आज से बीस साल के बाद, जब हम अपनी-अपनी ज़िन्दगी में डूब जायेंगे, दफ्तर, नौकरी, परिवार के साथ, मन के किसी कोने में रहेंगी आज -कल की बात? जब रेडियो पर २०१६ का गाना बजेगा, क्या हम इसी तरह जी भर के गा पाएंगे ? या हम सुनकर, यादो में...
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