जीवन मे कभी-कभी कुछ प्यारा-सा खो जाता है,
प्रियतम वस्तु के खो जाने से,
जीवन फिर अर्थहीन-सा हो जाता है।
मेरी सुख स्मृति, मेरे बचपन के मज़ेदार दिन है,
पीछे मुड़ कर हम कभी उन पलों को नहीं पाएँगे,
सुख के लम्हे-दुख के लम्हे खो जाएँगे,
आनेवाला दिन कुछ नया दिखाएगा।
कुछ खो जाने से समय नहीं थम जाता है,
जीवन की गति चलती रहेगी,
दुख के क्षण पीछे छूट जाएँगे।
स्मृति जैसे मनुष्य के मन का मान है,
विस्मृति मनुष्य को प्रभु का वरदान है,
दोनों के होने से जीवन आसान है!
By Prerna premchandani
Roll no 16
8B