हम एक ऐसे देश के रहने वाले हैं,
जहाँ रोज़ सुबह चाय की चुस्की लेकर लोग बहुत कुछ कहते हैं
हर बार जब कोई कुछ फैसला लेतो हम उस पर प्रश्न पूछते हैं,
पर क्यों जब हमारे माता-पिता हमें कुछ बताते, हम उसे मान लेते हैं?
क्योंकि उनके पास अनुभव है,
वो जानते हैं कि अगर हमने गलत काम किया उसका क्या परिणाम होगा,
और वह नहीं चाहते कि हमें परेशानी हो।
अब तुम सही हो, अब तुम गलत,
अगर तुम आगे बढ़ चुके हो तो पीछे ना पलटो,
क्यों न पलटो मैं,यह पूछना चाहती हूँ,
और मेरे सारे सवालों का उत्तर है ‘अनुभव’,
तो मैंने बहुत सोचा और आज लिखा,
अनुभव, क्या हो तुम,
मेरे सारे सवालों का जवाब नहीं दे सकते तुम,
पर मेरे पैरों की ज़ंजीरें हो सकते हो तुम,
जब कुछ करने जाऊँ मुझे रोक दिया जाता है,
जब उड़ना चाहूँ मेरे पंख काट देते हो तुम,
पर अब जब मुझे तुम्हारा महत्त्व समझ आया,
मैंने जाना कि तुम सही थे और मैं गलत,
तुम मेरे सारे प्रश्नो का जवाब नहीं,पर जवाब तक पहुंचने का रास्ता थे,
पैर जांगिड़ नहीं ,बल्कि उन ज़ंजीरों को खोलने का ताला थे,
जब भी मैं कुछ करना चाहूँ रोकते नहीं पर समझते वो गलत है, जब उड़ना हो तो तुम्हारे कारण मेरे पंख कटते नहीं,बल्कि मुझे नए पंख मिलते हैं।
अब जब मैंने तुम्हारा सही महत्त्व जाना तो मैं कह सकती हूँ,
अनुभव हम सबके पास होता है,
पर जिसके पास होता है उनकी बात हमें माननी चाहिए,
क्योंकि हम सारे लोग एक खेल में है,जीवन के,
बस इस पड़ाव पर हैं,
हमारे बड़े जिनके पास अनुभव है वो हमारा पड़ाव पार कर चुके है,
उन्हें पता है कि हमारे लिए क्या गलत है और क्या सही।
इसलिए,सही ही कहा गया है कि,
अनुभव जीवन का सबसे बड़ा शिक्षक है।
आर्या चोपरा
कक्षा : १० बी
AVM JUHU